रेसिपी झारखण्ड से श्वेता चंचल जी ने भेजी है जिन्होंने कोहंड़े यानी कि कद्दू के फूल और पत्तों को प्रयोग करके यूनिक प्रकार के पकौड़े और चटनी तैयार की है. हालाँकि शहरों में इसका रॉ मटीरीयल मिलना थोड़ा कठिन है परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में इसे आसानी से बनाया और खाया जा सकता है.

चटनी के लिए :-
चार से पांच कोंहड़े के पत्तों को साफ पानी से धो लिजीए, फिर उसे बारीक टुकड़ों में तोड़ लें जिससे उसके मोटे रेशे अलग हो जाएँ , अब एक कड़ाही में एक चम्मच सरसों का तेल गर्म करें, उसमें खड़ा जीरा , पोस्ता दाना एक चम्मच डालकर एक मिनट भूनें फिर उन साफ किए गए पत्तों को डालें, एक या दो हरी मिर्च अपने स्वाद के अनुसार डालकर एक मिनट भूनें, फिर हल्का पानी छिड़क कर नमक स्वाद अनुसार डालकर ढांक कर पकाएँ दो से तीन मिनट।, जिससे कि पत्ते सॉफ्ट हो जाएँ ,
अब आँच पर से इसे उतार लें और 6-8 लहसून की कलियों के साथ सिलबट्टे पर पीस लें, यम्मीलिशियस चटनी तैयार है , बरसात में इस चटनी का स्वाद बहुत ही अच्छा आता है ..!!
कोंहड़े के फूल के पकोड़े (#बचका)
सबसे पहले फूल की पंखूड़ियों को धोकर साफ कर लें , डंठल वाले मोटे भाग को अलग कर दें, फिर पीसे चावल दाल के गाढ़े घोल से ( आधा कप चावल और आधा कप चने दाल को दो घंटे भिगोने के बाद पीसे हुए घोल)
या आप बेसन के साथ चावल का आटा भी युज़ कर सकत् हैं, पर पीसे चावल दाल वाले में टेस्ट बेहतर आता है , अब गाढ़े घोल में नमक, मिर्ची पाउडर, लहसुन अदरख का पेस्ट मिलाएँ और एकसार कर लें
अब एक कड़ाही में सरसों का तेल गर्म करें, और फूलों की पंखूड़ियों को सावधानी से घोल में डुबोकर गर्म तेल में डालें, मध्यम आँच पर दोनों तरफ पकाएँ , ये क्रिस्पी बनते हैं तो और भी मज़ा आता है खाने में, पकोड़े रेडी हैं . आप धनिए की चटनी या फिर चाय के साथ भी इसे ले सकते हैं …

चाहें तो इस घोल में हरी मिर्च डालकर भी फ़्राई कर लीजिए , पकोड़े खाने का टेस्ट दोगुना हो जाएगा.
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