ॐ ।।
#भारत_के_5000_स्वाद_Part55
#SwadList
नमस्कार मित्रों 🙏
#SwadList में आज का स्वाद है राजस्थान की एक रसभरी मिठाई “#मरका“
भीलवाड़ा के “#प्यारे_लाल_घेवर_चंद की मिठाई की दुकान जिसे “#ब्यावर_वाले_हलवाई” भी कहा जाता है के यहाँ पर इस मिठाई का स्वाद लेने और इसे बनते हुए देखने का अवसर मिला.
दिखने में यह कुछ कुछ जानी पहचानी सी लगती है परन्तु ना तो यह इमरती है और ना ही जलेबी…..इन दोनों से यह बिलकुल अलग और यूनिक है. जलेबी मैदे से बनायीं जाती है और उसमें चासनी आपको गाढ़ी और तरल रूप में मिलती है जबकि इमरती को दाल की पीठी से खूब घनी और भारी बनाने के बाद चासनी में डुबोया जाता है परन्तु उसमें चासनी तरल ना होकर इमरती में चीनी की तरह रची होती है. इन दोनों के विपरीत यह #मरका दाल की पीठी में बनाया जाता है ….. देसी घी में तल कर इसे बिलकुल पतली चासनी में डुबोया जाता है और इसकी “पाइप” जैसी सरंचना में बिलकुल पतली चासनी बिलकुल तरल ही उपस्थित रहती है जो कि इसके विशेष स्वाद का मुख्य कारण है…..इसको बनाने में इमरती से भी अधिक निपुणता चाहिए क्यूंकि इसको एक निश्चित तापमान तक और एक विशेष क्रिस्प आने तक पकाना होता है ना उससे अधिक ना कम. चासनी पतली होने के कारण यह बहुत तेज़ मीठी नही होती और एक यूनिक स्वाद लिए हुए होती है.
“ब्यावर वालों की दुकान” 1958 में शुरू की गयी थी और आज ललित अरोड़ा और उनके पुत्र मनमोहन अरोड़ा इस दुकान को चला रहे हैं….इस दुकान के बारे में एक प्रसिद्ध तथ्य है कि यहाँ पर आज तक हरेक मिठाई केवल और केवल देसी घी में ही बनायीं जाती है.
मरका का दाम है प्रति किलो 400 /- रूपये और यह दूकान सुबह 7 बजे से शाम 9 बजे तक खुलती है.
गूगल लोकेशन : https://goo.gl/maps/jdRV6RCryB3Z85Pb7
#SwadList_रेटिंग : 5 स्टार *****
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आपका अपना ….. पारुल सहगल 😊