ॐ ।।
#भारत_के_5000_स्वाद_Part36
#SwadList
नमस्कार मित्रों 🙏
मित्रों …… आप अगर किसी दुकान से कुछ खाने के लिए ख़रीदते हैं और ख़रीदारी के दौरान दुकानदार आपको #गाली दे तो आपको कैसा लगेगा ?? स्वाभाविक है कि बुरा लगेगा…… परंतु आज हम जिस स्वाद की बात करने जा रहे हैं उसकी USP ही है #स्वाद_के_साथ_गाली.
बनारस के लंका पर रविदास गेट के सामने स्थित है “चाची की कचौरी” नामक एक बेहद पुरानी दुकान जहाँ मिलती है बनारस का “अधिकारिक नाश्ता” अर्थात स्पेशल पूरी-सब्ज़ी और जलेबी.
सारा सामान यहाँ लकड़ी की भट्टी पर बनाया जाता है और प्रति पूरी या कचौरी दाम है केवल 6 रुपए. छोटी सी दुकान है और कोई बोर्ड नही है परंतु इतनी प्रसिद्ध है कि आसानी से मिल जाती है.
कहा जाता है की चाची जिन्होंने यह दुकान शुरू की थी बेहद मुखर महिला थी और उनको गाली देने की बहुत आदत थी. यहाँ पर उस समय अधिकतर BHU के छात्र नाश्ता करने आते थे और नाश्ते का ऑर्डर देने के बाद जल्दी मचाते थे जबकि चाचीं के यहाँ पर नाश्ता बहुत धीरे-धीरे धीमी आँच पर बनाया जाता है …. सो चाची की इन छात्रों के साथ नोंक-झोंक चलती रहती थी और वे अक्सर उनको गाली देती रहती थी. हालाँकि इस के कारण कभी किसी ने ऐतराज़ नही किया क्यूँकि बनारस में देसी भाषा में गाली देने को कोई भी मन पर नही लेता और लोकल भाषा में गाली देना वहाँ की संस्कृति का ही एक भाग है.
धीरे-धीरे चाची का नाम “गाली देने वाली चाची की कचौरी” से प्रसिद्ध हो गया और दुकान पर भीड़ रहने लगी. आज चाची स्वयं तो स्वर्ग सिधार चुकी हैं और उनके बेटे और पोते इस दुकान को चलाते हैं … आज भी वही स्वाद बरक़रार है और वही भीड़ दुकान पर सुबह नाश्ते के समय देखी जा सकती है. आज भी BHU में पढ़े हुए बड़े-बड़े IAS ऑफ़िसर जब भी यहाँ आते हैं तो इस दुकान पर नाश्ता करते हुए चाची की फ़ोटो की प्रणाम करते हुए अवश्य याद करते हैं.
अगली कुछ पोस्ट्स में वाराणसी के कुछ और स्वाद शेयर करूँगा …. कनेक्टेड रहिए 🙏
आपका अपना ….. पारुल सहगल 🙏